हर गाँव, हर शहर में ये ख़बर है
हर तरफ़ अब कोरोनो का क़हर है ।
घर से मत निकलना ऐ मेरे दोस्तो
इन बहती फ़िज़ाओं में भी ज़हर है ।
कलियाँ खिली-खिली,परिंदे चहक रहे
लोग घरों में क़ैद अब शाम-ओ-सहर हैं ।
वक़्त कटता नहीं, काटना पड़ रहा है
बेचैनी का आलम अब तो हर पहर है ।
ज़िंदगी काम की चीज़ है सम्हालो इसे
बच गए तो धरती अपनी,अपना अम्बर है ।
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