कला प्रेमियों के लिए दुःखद ख़बर है । बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता इरफ़ान खान अब हमारे बीच नहीं रहे । अचानक तबियत ख़राब होने की वजह से उन्हें मुम्बई के कोकिलाबेन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था , वे लम्बे अरसे से कैंसर से लड़ रहे थे । आज उन्होंने अपनी अंतिम साँसें ली ।
आइये उन्हें याद करते हैं -
इरफान अली खान उर्फ़ इरफान खान का जन्म 7 जनवरी 1967 को जयपुर , राजस्थान में हुआ । वे हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी फ़िल्म व टेलीविजन के एक कुशल अभिनेता रहे हैं । इरफान खान ने अभिनय की शुरुआत टेलीविजन से की । उन्होंने दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम 'चाणक्य' , 'भारत एक खोज' , और चंद्रकांता जैसे सुपरहिट धारावाहिकों में काम किया । द वारियर(2001) , मक़बूल(2003) , हासिल(2003) , द नेमसेक (2006) , डी-दे (2011) जैसी फिल्मों मे अपने अभिनय का लोहा मनवाया। 'हासिल' फिल्म के लिये उन्हे वर्ष 2004 का फ़िल्म फेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक का पुरस्कार प्राप्त हुआ ।
बॉलीवुड की 30 से ज्यादा फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके इरफान खान हॉलीवुड में भी एक चिरपरिचित नाम है । ए माइटी , स्लमडॉग मिलेनियर (2008) और द अमेजिंग स्पाइडर मैन जैसी फिल्मों में भी काम कर चुके हैं। 2008 में फ़िल्म 'लाइफ इन ए मेट्रो' के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार , 2011 में भारत सरकार द्वारा इन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया। 60वे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2012 में इरफ़ान खान को फिल्म 'पान सिंह तोमर' में अभिनय के लिए श्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार दिया गया । इरफ़ान खान की आख़िरी फ़िल्म 'अंग्रेजी मीडियम' हाल ही मैं 13 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई थी । इस फ़िल्म में इरफ़ान ने सिंगल पैरेंट की भूमिका निभाई है । हालांकि कोरोनो वायरस के फ़ैलते संक्रमण की वजह से यह फ़िल्म सिनेमाघरों में नहीं चल पाई ।
फिल्मों में जब इरफान खान डायलॉग बोलते थे तो लोग उनके अंदाज-ए-बयां के कायल हो जाते थे । सिनेमा प्रेमियों को इरफान खान की कमी बहुत खलेगी । हासिल, जज्बा, पान सिंह तोमर, हैदर, चॉकलेट, द लंचबॉक्स, मदारी, डी-डे आदि फिल्मों में इरफान खान के डायलॉग सिनेमाप्रेमियों को बहुत भाए ।
उनके कुछ बेहतरीन डायलॉग्स-
फ़िल्म-ये साली ज़िन्दगी : "इश्क का एक प्रॉब्लम है, अगर एक की लगी तो दूसरे की भी लगनी है कभी न कभी ।"
फ़िल्म- लाइफ इन ए मेट्रो : "ये शहर हमें जितना देता है, बदले में उससे ज्यादा ले लेता है । "
फ़िल्म - दी-डे : "सिर्फ इन्सान गलत नहीं होते, वक्त भी गलत हो सकता है ।"
फ़िल्म - द किलर : "पिस्टल की ठंडी नली जब कनपटी पर लगती है ना, तब जिंदगी और मौत का फर्क समझ में आ जाता है । "
फ़िल्म- जज़्बा : "शराफत की दुनिया का किस्सा ही खत्म, अब जैसी दुनिया वैसे हम ।"
फ़िल्म- कसूर : "दौलत का नशा ... किसी भी ड्रग्स से ज्यादा खतरनाक नशा है । "
फ़िल्म - लकी कबूतर : "लड़की खूबसूरत हो और स्कूटी पर हो तो प्यार हो जाता है और लड़की बदसूरत हो और मर्सिडीज में हो तो प्यार झक मार के करना ही पड़ता है ।"
अपनी बेहतरीन अदाकारी और डायलॉग्स के लिए पहचाने जाने वाले इरफ़ान भले ही हमारे बीच नहीं रहे पर सिनेमा जगत में उनका योगदान सदा अविस्मरणीय रहेगा ।
ॐ शांति ।
आलेख- अमलेश कुमार
साभार- विकिपीडिया , गूगल ,विभिन्न न्यूज़ चैनल, सोशल मीडिया ।
आइये उन्हें याद करते हैं -
इरफान अली खान उर्फ़ इरफान खान का जन्म 7 जनवरी 1967 को जयपुर , राजस्थान में हुआ । वे हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी फ़िल्म व टेलीविजन के एक कुशल अभिनेता रहे हैं । इरफान खान ने अभिनय की शुरुआत टेलीविजन से की । उन्होंने दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम 'चाणक्य' , 'भारत एक खोज' , और चंद्रकांता जैसे सुपरहिट धारावाहिकों में काम किया । द वारियर(2001) , मक़बूल(2003) , हासिल(2003) , द नेमसेक (2006) , डी-दे (2011) जैसी फिल्मों मे अपने अभिनय का लोहा मनवाया। 'हासिल' फिल्म के लिये उन्हे वर्ष 2004 का फ़िल्म फेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक का पुरस्कार प्राप्त हुआ ।
बॉलीवुड की 30 से ज्यादा फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके इरफान खान हॉलीवुड में भी एक चिरपरिचित नाम है । ए माइटी , स्लमडॉग मिलेनियर (2008) और द अमेजिंग स्पाइडर मैन जैसी फिल्मों में भी काम कर चुके हैं। 2008 में फ़िल्म 'लाइफ इन ए मेट्रो' के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार , 2011 में भारत सरकार द्वारा इन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया। 60वे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2012 में इरफ़ान खान को फिल्म 'पान सिंह तोमर' में अभिनय के लिए श्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार दिया गया । इरफ़ान खान की आख़िरी फ़िल्म 'अंग्रेजी मीडियम' हाल ही मैं 13 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई थी । इस फ़िल्म में इरफ़ान ने सिंगल पैरेंट की भूमिका निभाई है । हालांकि कोरोनो वायरस के फ़ैलते संक्रमण की वजह से यह फ़िल्म सिनेमाघरों में नहीं चल पाई ।
फिल्मों में जब इरफान खान डायलॉग बोलते थे तो लोग उनके अंदाज-ए-बयां के कायल हो जाते थे । सिनेमा प्रेमियों को इरफान खान की कमी बहुत खलेगी । हासिल, जज्बा, पान सिंह तोमर, हैदर, चॉकलेट, द लंचबॉक्स, मदारी, डी-डे आदि फिल्मों में इरफान खान के डायलॉग सिनेमाप्रेमियों को बहुत भाए ।
उनके कुछ बेहतरीन डायलॉग्स-
फ़िल्म-ये साली ज़िन्दगी : "इश्क का एक प्रॉब्लम है, अगर एक की लगी तो दूसरे की भी लगनी है कभी न कभी ।"
फ़िल्म- लाइफ इन ए मेट्रो : "ये शहर हमें जितना देता है, बदले में उससे ज्यादा ले लेता है । "
फ़िल्म - दी-डे : "सिर्फ इन्सान गलत नहीं होते, वक्त भी गलत हो सकता है ।"
फ़िल्म - द किलर : "पिस्टल की ठंडी नली जब कनपटी पर लगती है ना, तब जिंदगी और मौत का फर्क समझ में आ जाता है । "
फ़िल्म- जज़्बा : "शराफत की दुनिया का किस्सा ही खत्म, अब जैसी दुनिया वैसे हम ।"
फ़िल्म- कसूर : "दौलत का नशा ... किसी भी ड्रग्स से ज्यादा खतरनाक नशा है । "
फ़िल्म - लकी कबूतर : "लड़की खूबसूरत हो और स्कूटी पर हो तो प्यार हो जाता है और लड़की बदसूरत हो और मर्सिडीज में हो तो प्यार झक मार के करना ही पड़ता है ।"
अपनी बेहतरीन अदाकारी और डायलॉग्स के लिए पहचाने जाने वाले इरफ़ान भले ही हमारे बीच नहीं रहे पर सिनेमा जगत में उनका योगदान सदा अविस्मरणीय रहेगा ।
ॐ शांति ।
आलेख- अमलेश कुमार
साभार- विकिपीडिया , गूगल ,विभिन्न न्यूज़ चैनल, सोशल मीडिया ।
फ़ाइल फ़ोटो - अभिनेता इरफ़ान ख़ान |