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(१)
ये मज़दूर
क्यों अपनों से दूर
क्या है क़सूर ?
(२)
खिलाने वाला
भूखा भटक रहा
खिलाये कौन ?
(३)
चाहिए उन्हें
रोटी, कपड़ा, घर
जो हैं बेघर ।
(४)
है दर्द बड़ा
वक़्त क्यों मौन खड़ा
कुछ तो कर ।
(५)
उनके दिन
फिर आयेंगे कब
राहों में हैं जो ।
(६)
वे नग्न पैर
कंघों में बचपन
बेचैन मन ।
(७)
ये राहगीर
ख़ुद को ढो रहे जो
हैं अभिशप्त ।
(८)
पैरों में आग
तपती दोपहरी
साँसें गहरी ।
(९)
दुःखित मन
राहों में उलझन
जायें किधर ?
(१०)
पेट-पीठ में
अब अंतर कहाँ
एक हो गया ।
(११)
भू-कृतिकार
हैं मारे जा रहे क्यों
बेमौत आज ।
(१२)
रक्तरंजित
हैं सड़कें-गलियां
है खौफ़नाक ।
(१३)
सदियों से है
उनके ये संघर्ष
है हर्ष कहाँ ?
(१४)
नई किरण
एक नया सवेरा
जो हो निशांत ।
(१५)
हैं नेतागण
देते सिर्फ़ भाषण
बेकाम सब ।
(१६)
व्यथित मन
देखा जो यह दृश्य
शत्रु अदृश्य ।
©अमलेश कुमार